हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट अनुसार, इस्लामी देशों के रेडियो ऐन्ड टेलीविजन संघ का दसवां सम्मेलन ईरान की राजधानी तेहरान मे आयोजित हुआ, जिसका नारा “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया का इंसाफ़” था।
इस संघ में 23 देशों के 228 सदस्य हैं और यह 22 ज़बानों में काम कर रहा है, जिससे मीडिया की गतिविधियों में विस्तार और सूचनाओं के आज़ाद प्रवाह में अहम योगदान का पता चलता है।
इस मीडिया के ख़िलाफ़ अमरीका के रवैये की, इस्लामी देशों के रेडियो ऐन्ड टेलीविजन संघ के दसवें सम्मेलन में समीक्षा की गयी। अमरीका ने अभी हाल में प्रतिरोध के मोर्चे और इस्लामी देशों के रेडियो व टेलीविजन संघ की क़रीब 40 वेबसाइटों को ब्लॉक कर दिया। अमरीका के इस रवैये से ज़ाहिर हो गया कि उसके दोग़लेपन की कोई हद नहीं है।
अमरीका ने जिन वेबसाइटों को ब्लॉक किया है उसमें “अलआलम”, “अल-मसीरा”, “अन्नबा”, “अल-फ़ुरात”, “कर्बला”, “लूलू”, “अल-कौसर”, “अन-नईम”, “फ़िलिस्तीन अलयौम” और “आफ़ाक़” उल्लेखनीय हैं।
इन मीडिया वेबसाइटों के ख़िलाफ़ अमरीका के रवैये से यह सवाल पैदा होता है कि प्रतिरोध के समर्थक मीडिया ने घटनाओं के बारे में पारदर्शिता में क्या योगदान दिया है कि अमरीका ने इन मीडिया हल्क़ों को ब्लॉक करने का फ़ैसला किया?
अमरीका के इस फ़ैसले के कारण की समीक्षा बताती है कि ये मीडिया हल्क़े, क्षेत्र की घटनाओं की सच्चाई से पर्दा उठाने में सफल रहे हैं।
ईरान ब्रॉडकास्टिंग के प्रमुख अली अस्करी ने इस सम्मेलन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ख़ास तौर पर इंटरनेट और साइबर स्पेस के क्षेत्र में अमरीकी दावे का ज़िक्र करते हुए कहा कि इस्लामी जगत के मीडिया को चाहे ईरानी मीडिया या प्रतिरोध के मोर्चे का मीडिया हो, बंद करने की कोशिश, इन मीडिया हल्क़ों के प्रभाव को दर्शाती है, जिसकी वजह से पश्चिमी देश मुख्य मानदंड और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने दावे से पीछे हट गए।
ईरान ब्रॉडकास्टिंग के विदेश विभाग के प्रमुख पैमान जिबिल्ली ने बल दिया कि प्रतिरोध के मोर्चे की साइटों को ब्लॉक करने की अमरीकी कोशिश से, इन मीडिया हल्क़ों का अमरीकी कार्यवाही का मुक़ाबला करने और आपस में समन्वय बढ़ाने का संकल्प बढ़ गया।